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इधर MSP पर खरीद शुरू होने का ऐलान, उधर भारत के कपास किसानों के लिए आई बुरी खबर.

2025-11-13 12:02:33
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"एमएसपी कपास खरीद की शुरुआत अच्छी खबर है, लेकिन किसानों को असफलताओं का सामना करना पड़ रहा है"


भारत के कपास आयात में नए सीजन में 9.8 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है जो अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकता है. निश्चित तौर पर यह भारत के किसानों के लिए एक झटका देने वाली खबर है. यह इसलिए क्‍योंकि इसके पीछे एक वजह ड्यूटी फ्री आयात भी है जिसे कुछ महीने पहले भारत सरकार की तरफ से मंजूरी मिली है. यह जानकारी ऐसे समय पर आई है जब एक तरफ देश में कपास खरीद सीजन की शुरुआत हो चुकी है तो दूसरी तरफ मॉनसून की ज्‍यादा बारिश और फिर बेमौसमी बारिश से किसान तबाह हो चुके हैं. ऐसे में आयात में इजाफा निश्चित तौर पर उन्‍हें नुकसान पहुंचाने वाला होगा. 


लगातार बढ़ रहा आयात 

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार भारत में कपास आयात बढ़ने के पीछे दो वजहें हैं- पहली, भारत से ड्यूटी फ्री आयात को मंजूरी देना और दूसरी घरेलू उत्पादन का 17 साल के निचले स्तर पर पहुंच जाना. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है. ऐसे में भारत के ज्‍यादा आयात करने से ग्‍लोबल मार्केट में कपास की कीमतों को तो सहारा मिलने की उम्मीद है लेकिन देश के किसानों को नुकसान होगा, इस बात की भी पूरी संभावना है. फिलहाल अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें इस समय छह महीने के निचले स्तर के आसपास हैं. 


न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स ने कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा के हवाले से बताया कि भारत का कपास आयात 2025/26 मार्केटिंग ईयर में, जो 1 अक्टूबर से शुरू हुआ है, बढ़कर 45 लाख गांठों तक पहुंच सकता है. यह संख्या अकेले दिसंबर में 30 लाख गांठों के तक पहुंच सकती है. पिछले साल भारत का कपास आयात अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों से बढ़कर रिकॉर्ड 41 लाख गांठों तक पहुंच गया था.


ड्यूटी फ्री आयात और कमजोर उत्पादन
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा, 'इस समय विदेशों में कपास की कीमतें घरेलू बाजार की तुलना में काफी सस्ती हैं, इसलिए टेक्सटाइल मिलें दिसंबर के अंत से पहले तेजी से आयात कर रही हैं.' भारत सरकार ने कपास आयात पर 11 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी की छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है. एक ग्‍लोबल ट्रेड हाउस से जुड़े नई दिल्ली के व्यापारी ने बताया कि फसलों को हुए नुकसान के चलते घरेलू आपूर्ति को लेकर बढ़ती चिंता के कारण, टेक्सटाइल मिलें बेहतर क्‍वालिटी वाले आयातित कपास की ओर रुख कर रही हैं.  


पश्चिमी राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात, साथ ही दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अक्टूबर में भारी और असमय वर्षा हुई, जिससे कटाई के लिए तैयार कपास फसलों को नुकसान पहुंचा है. इन राज्यों की हिस्सेदारी भारत के कुल कपास उत्पादन का 70 फीसदी से ज्‍यादा है. 


सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अनुमान के अनुसार, भारत का कपास उत्पादन 2025-26 में पिछले साल की तुलना में 2.4 फीसदी घटकर 3.05 करोड़ गांठों पर आ सकता है. यह साल 2008-09 के बाद का सबसे कम उत्‍पादन होगा. कुछ व्यापारियों का अनुमान है कि उत्पादन और गिरकर 2.8 करोड़ गांठों तक पहुंच सकता है. टेक्सटाइल इंडस्‍ट्री भारत के सबसे बड़े रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक है, जो 4.5 करोड़ से अधिक लोगों को सीधा रोजगार मुहैया कराता है. CAI के अनुसार, निर्यात की कमजोर मांग के कारण 2025-26 में कपास की खपत में 4.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है, जिससे यह घटकर 3 करोड़ गांठों पर आ जाएगी. 


अतुल गणात्रा ने बताया, 'अमेरिका की तरफ से भारी टैरिफ लगाए जाने के बाद से वहां से मांग में कमी आई है, जिसके चलते दक्षिण भारत की कई टेक्सटाइल यूनिट्स को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है.' अमेरिका भारत के कुल 38 अरब डॉलर के वार्षिक टेक्सटाइल निर्यात का करीब 29 फीसदी कपास खरीदता है. उसने अगस्त से भारत से आयात पर टैरिफ को दोगुना बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर दिया है.


और पढ़ें:- हरियाणा : एमएसपी पर कपास की खरीद, कम गुणवत्ता बता दाम में कर रहे कटौती,


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