प्रमुख राज्यों में गिरावट के बावजूद 2025-26 में भारत का कपास उत्पादन बढ़ने की संभावना
अक्टूबर से शुरू होने वाले 2025-26 सीज़न में भारत का कपास उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक रहने का अनुमान है। हालांकि, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों में फसल रकबा घटा है और अगस्त की भारी बारिश से कुछ क्षेत्रों में खड़ी फसल को नुकसान हुआ है।
मुख्य राज्यवार स्थिति
* गुजरात: रकबा 23.66 लाख हेक्टेयर से घटकर 20.82 लाख हेक्टेयर (12% गिरावट)।
* महाराष्ट्र: रकबा 40.81 से घटकर 38.44 लाख हेक्टेयर।
* तेलंगाना: रकबा 18.11 से बढ़कर 18.51 लाख हेक्टेयर।
* कर्नाटक: रकबा 7.79 से बढ़कर 8.08 लाख हेक्टेयर।
* आंध्र प्रदेश: मामूली कमी, 4.13 से घटकर 3.77 लाख हेक्टेयर।
उत्पादन अनुमान
व्यापार संघों के अनुसार, 2025-26 में भारत का उत्पादन 325–340 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किग्रा) हो सकता है, जो चालू सीज़न के 312 लाख गांठ से अधिक है।
* कर्नाटक: 24 से बढ़कर 30 लाख गांठ (25% वृद्धि)।
* आंध्र प्रदेश: 12.5 से बढ़कर 17 लाख गांठ।
* तेलंगाना: 50 से बढ़कर 53–55 लाख गांठ।
दक्षिण भारत का कुल उत्पादन 105 लाख गांठ तक पहुँच सकता है, जो पिछले साल के 88 लाख गांठ से अधिक है और अन्य क्षेत्रों की कमी की भरपाई करेगा।
बाज़ार पर असर
दशहरा तक कपास की आवक 30–35 हजार गांठ प्रतिदिन होने की उम्मीद है, जो वर्तमान 10 हजार गांठ से कहीं अधिक है। हालांकि, बढ़ते उत्पादन और आयात के कारण कीमतों पर दबाव है।
सरकार ने कपड़ा उद्योग को सहारा देने के लिए वर्ष के अंत तक 11% आयात शुल्क हटा दिया है। इसके चलते 2024-25 में आयात रिकॉर्ड 41 लाख गांठ तक पहुँच गया है (पिछले साल 15 लाख गांठ)। अकेले अक्टूबर-दिसंबर में 20 लाख गांठ से अधिक आयात की संभावना है।
कच्चे कपास की कीमतें MSP (₹5,500–7,000 प्रति क्विंटल) से नीचे चल रही हैं। उत्तरी राज्यों में हालिया बारिश से रेशे की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है।
CCI की भूमिका
भारतीय कपास निगम (CCI) ने MSP पर बड़े पैमाने पर खरीद की तैयारी की है। 1 अक्टूबर से उत्तर भारत में 550 केंद्रों के माध्यम से संचालन शुरू होगा। पिछले वर्ष एक करोड़ गांठ खरीदने वाली CCI के पास इस बार 12 लाख गांठ का स्टॉक है।
वैश्विक परिदृश्य
USDA का अनुमान है कि भारत का उत्पादन बढ़ेगा, जबकि आयात घटकर 35.8 लाख गांठ और निर्यात बढ़कर 16.64 लाख गांठ हो जाएगा।
ICAC के अनुसार, वैश्विक उत्पादन 25.9 मिलियन टन से घटकर 25.5 मिलियन टन होगा। अमेरिका, पाकिस्तान और सूडान में मौसम व कीटों की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ है।
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