उत्तर गुजरात के किसान मानसून से होने वाली तबाही से भयभीत हैं।
मेहसाणा: इस साल उत्तर गुजरात के किसानों के लिए मानसून अभिशाप साबित हो रहा है। लगातार बारिश ने कपास और अरंडी जैसी प्रमुख फसलों को बर्बाद कर दिया है। खेतों में पानी भरने से फसलें सड़ रही हैं, जिससे किसानों की मेहनत बर्बाद हो गई है और उनकी चिंता बढ़ गई है।
पिछले सप्ताह हुई भारी बारिश के कारण ज्यादातर खेत पानी में डूब गए थे, और अभी वह पानी उतरा भी नहीं था कि फिर से बारिश शुरू हो गई। इससे खेतों में खड़ी कपास की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है। किसान अपनी फसलों को बचाने की जद्दोजहद में रातों की नींद खो रहे हैं।
विशेष रूप से मेहसाणा जिले के विसनगर तालुका के कंसा गांव में स्थिति गंभीर है, जहां चिपचिपी मिट्टी के कारण जलभराव की समस्या अधिक हो गई है। इस गांव की लगभग 15 से 17 हजार की आबादी खेती पर निर्भर है, जहां कपास, अरंडी और तिलहन मुख्य फसलें हैं। इस साल लगातार बारिश ने इन फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है, और किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है।
कंसा गांव के किसान मुकेशभाई पटेल बताते हैं कि उनके पास पांच बीघे जमीन है, जिस पर उन्होंने कपास, अरंडी और तिलहन की खेती की थी। लेकिन भारी बारिश के कारण अरंडी और तिल की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं, जबकि कपास का उत्पादन भी बेहद कम हुआ है। जहां एक बीघे में सामान्यतः 35 से 40 मन कपास पैदा होती थी, इस बार पानी भरने से उत्पादन 20 मन भी मुश्किल से हो पाएगा।
किसानों की यह हालत मानसून की अनिश्चितता और अत्यधिक बारिश के कारण हुई है, जिससे उनका सीजन पूरी तरह प्रभावित हो गया है।