CAI अध्यक्ष अतुल गनात्रा का CNBC आवाज़ को इंटरव्यू – मुख्य बिंदु
2025-07-24 17:47:29
दिनांक 24 जुलाई 2025 को सीएआई (CAI) के अध्यक्ष श्री अतुल गनात्रा द्वारा CNBC आवाज़ को दिए गए इंटरव्यू के मुख्य बिंदु
विकल्पिक फाइबर की मांग में वृद्धि: श्री गनात्रा ने बताया कि विस्कोस और पॉलिएस्टर जैसे अल्टरनेटिव फाइबर की मांग में पिछले चार वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहाँ 2021 में इनकी खपत लगभग 1800 टन प्रतिदिन थी, वहीं अब यह बढ़कर 2600–2700 टन प्रतिदिन हो चुकी है। आने वाले समय में इस वृद्धि की प्रवृत्ति और तेज़ होने की संभावना है।
फाइबर मूल्य तुलना एवं यार्न रियलाइज़ेशन:
वर्तमान में: कॉटन की कीमत ₹170 प्रति किलोग्राम है विस्कोस की कीमत ₹155 प्रति किलोग्राम है पॉलिएस्टर की कीमत ₹102 प्रति किलोग्राम है
यार्न रियलाइज़ेशन (फाइबर से यार्न बनने की प्रतिशत दर) में भी अंतर है:
कॉटन: 86–87% विस्कोस/पॉलिएस्टर: लगभग 98%
राष्ट्रीय बनाम वैश्विक फाइबर उपयोग अनुपात: भारत में आज भी 70% कपास और 30% सिंथेटिक फाइबर का उपयोग होता है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह अनुपात उल्टा है—70% मेनमेड फाइबर और 30% कॉटन यार्न।
कॉटन इम्पोर्ट में भारी बढ़ोत्तरी: इस वर्ष कपास आयात में जबरदस्त उछाल देखने को मिला हे —जहां गत वर्ष मात्र 15 लाख गांठें (bales) आयात हुई थीं, वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा 40 लाख गांठों तक पहुंचने की संभावना है। यह वृद्धि 250% से भी अधिक है, वह भी 11% इम्पोर्ट ड्यूटी के बावजूद, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है।
आयातित कपास की प्रतिस्पर्धात्मकता: वर्तमान में ब्राज़ील व अफ्रीकी देशों से नवंबर की शिपमेंट के सौदे ₹50,000–₹51,500 प्रति खंडी पर हो रहे हैं। जबकि भारत में कॉटन का मूल्य ₹56,000–₹57,000 प्रति खंडी है, जो कि अंतरराष्ट्रीय तुलना में 8–10% अधिक है। आयातित कपास उच्च गुणवत्ता, कम कंटैमिनेशन, और बेहतर यार्न रिकवरी के कारण भारतीय कॉटन की तुलना में अधिक उपयोगी और प्रतिस्पर्धात्मक है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य और बुआई की स्थिति: आगामी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹8100 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिस पर CCI किसानों से कपास की खरीद करेगी। इससे किसानों में उत्साह है। पहले जहां बुआई क्षेत्र में 10% की गिरावट की आशंका थी, वहीं अब तक के आंकड़ों के अनुसार लगभग 101 लाख हेक्टेयर बुआई हो चुकी है—जो गत वर्ष के बराबर है। यदि यही रुझान जारी रहा, तो इस वर्ष कपास की बुआई में 3–4% की वृद्धि हो सकती है। मानसून समय पर आने के कारण 15 सितंबर से उत्तर और दक्षिण भारत में नई फसल की आवक शुरू हो सकती है।
रीसाइकल्ड कॉटन का प्रभाव: मूल कपास की तुलना में लगभग 25% कीमत वाला रीसाइकल्ड कॉटन अब अधिक मात्रा में उपयोग किया जा रहा है, जिसके चलते भी देश में कॉटन की कुल मांग में कमी देखी जा रही है।