पंजाब में तीन अहम बेल्ट मालवा, माझा, दोआबा हैं. माझा बेल्ट को कॉटन बेल्ट यानी कपास के खेती को लिए जाना जाता है. कारण कपास में कम पानी लगता है. वहीं मालवा बेल्ट में भी ज्यादा कपास की ही खेती होती थी, लेकिन बाजार में नकली बीज, डुप्लीकेट पेस्टिसाइड ने किसानों की कमर तोड़ दी है.
पंजाब सरकार जहां लगातार किसानों को फसल में विविधीकरण के लिए जागरूक कर रही है तो वहीं पंजाब के किसानों का कपास की फसल से मोहभंग होता जा रहा है. किसान अब कपास की खेती करना नहीं चाहते हैं. इसका नतीजा यह है कि इस साल प्रदेश में कपास की खेती में कमी आती जा रही है. वहीं अगर पिछले 10 साल का जिक्र करें तो 25.66 प्रतिशत कपास का उत्पादन गिर गया है. किसान नेता जंगवीर सिंह कहते हैं कि आज से 10 साल पहले मालवा वेल्ट के किसान कपास बहुत लगाते थे, लेकिन अब हालात यह हो गई है कि किसान कपास का जगह वह फसल लगाना चाहते हैं, जसमें पेस्टिसाइड कम पड़े और फसल की कीमत भी एमएसपी के उचित दाम पर मिलती हो.
पंजाब में तीन अहम बेल्ट मालवा, माझा, दोआबा हैं. माझा बेल्ट को कॉटन बेल्ट यानी कपास के खेती को लिए जाना जाता है. कारण कपास में कम पानी लगता है. वहीं मालवा बेल्ट में भी ज्यादा कपास की ही खेती होती थी, लेकिन बाजार में नकली बीज, डुप्लीकेट पेस्टिसाइड ने किसानों की कमर तोड़ दी. नजीता साल बीतते गए और कपास का खेती कम होती गई. हाल यह हो गया है कि किसान अब बस धान और गेहूं की खेती कर रहे हैं.
किसान नेता जंगवीर सिंह ने कहा कि एक समस्या यह भी है कि किसान जिस फसल की तरफ जाता है, उससे अलग दूसरी फसल की खेती ही नहीं करता. नतीजन वह फसल इतनी हो जाती है कि उसके दाम कम हो जाते हैं. इस समय पंजाब में माझा और मालवा बेल्ट में सफेदी की ही फसल (यूकेलिप्टस) हो रही है. पंजाब यूनिवर्सिटी के कृषि वैज्ञानिक डॉ. हर्ष ने बताया कि किसान कपास की फसल तो चाहता है, लेकिन गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी के प्रकोप ने किसानों का इस खेती से मुंह मोड़ दिया है.
कितनी मिलनी चाहिए कपास की कीमत दूसरा सबसे बड़ा कारण रहा है, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनिश्चितता होना. फसल कम दाम पर मिलना. कृषि वैज्ञानिक डॉ. हर्ष के मुताबिक, कपास की कीमत सात से आठ हजार पर क्विंटल होनी चाहिए, पर वह नहीं है. वहीं मालवा बेल्ट अब कैंसर बेल्ट बनती जा रही है. इसका सबसे बड़ा, वहां जो फसलों के लिए पेस्टीसाइड इस्तेमाल किए गए, वह जाकर भूमिगत जल (ग्राउंड वाटर) मिल गए. इस वजह से पानी इतना दूषित हो गया कि लोग इस बीमारी से ग्रस्त होते जा रहे हैं.
वहीं कपास की खेती से किसानों के मोहभंग होने को लेकर जब पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं, किसानों का समझा रहे हैं कि वह कपास की खेती करें. किसानों को कपास का उचित दाम भी मिलेगा.
पंजाब के 118 ब्लॉक रेड जोन में चले गए एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के भूजल का स्तर पहले ही गिर रहा है, जिसका जिक्र मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान खुद करते रहते हैं. जल स्तत को ठीक करने के लिए ही लोगों को कम पानी वाली फसल उगाने को लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. 118 ब्लॉक रेड जोन में चले गए हैं. इस रिपोर्ट ने सरकार की चिंता अब और भी बढ़ा दी है. रिपोर्ट के अनुसार, कपास का उत्पादन 2023-24 में 6.09 लाख से घटकर 2024-25 में 2.52 लाख गांठों तक रह गया है. इसी तरह एरिया भी 2.14 लाख से घटकर एक लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पंजाब में कपास की एमएसपी पर खरीद में गिरावट दर्ज की गई है. मार्च में कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में वर्ष 2024-25 में सिर्फ दो हजार गांठों की एमएसपी पर खरीद हुई, जबकि वर्ष 2019-20 में 3.56 लाख गांठों की एमएसपी पर खरीद हुई, 2020-21 में 5.36 लाख गांठों की एमएसपी पर खरीद हुई, 2021-22 और 2022-23 के दौरान कपास का मार्केट प्राइस एमएसपी से ऊपर था. इसलिए इन दो वर्षों के दौरान एमएसपी पर खरीद नहीं हुई, लेकिन साल 2023-24 में सिर्फ 38 हजार गांठों की एमएसपी पर खरीद हुई. किसानों और एक्सपर्ट का कहना है कि हम चाहते हैं कि सरकार फसलों पर सही मूल्य दे, नकली बीज की समस्या खत्म करे, तभी पंजाब में फसलों की हालत सही होगी.