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जिले में मक्का-कपास आगे, सोयाबीन का कम पंजीयन

2025-10-08 12:08:33
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जिले में सोयाबीन से ज्यादा है मक्का और कपास का रकबा, मात्र 2500 हेक्टेयर का हुआ पंजीयन

मप्र शासन द्वारा किसानों की सोयाबीन की फसल के लिए भावांतर योजना लागू की है लेकिन जिले में किसान इसके प्रति रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जिले में किसानों की पसंद की बात की जाए तो सोयाबीन की फसल के बदले मक्का व कपास की फसल अधिक लगा रहे हैं। ऐसे में भावांतर योजना का जिले के किसानों को लाभ नहीं मिल पाएगा। किसानों ने कहा जिले के अनुसार मक्का व कपास को भावांतर योजना में जोड़ना चाहिए ताकि किसानों को अधिक लाभमिल सके।

जानकारी के अनुसार जिले में मक्का का रकबा करीब 1 लाख हेक्टेयर, कपास का रकबा 77 हजार 900 हेक्टेयर है। जबकि सोयाबीन का रकबा 20 हजार 878 ही है। ऐसे में जिले के बहुत कम किसान इस योजना से जुड़ पाएंगे। उप संचालक कृषि केसी वास्केल ने बताया मप्र शासन द्वारा सोयाबीन उत्पादक

इल्ली के प्रकोप से खराब हो रही कपास की फसल।

किसानों के लिए भावांतर योजना लागू की गई है। योजना अंतर्गत किसानों द्वारा विक्रय की गई कीमत व समर्थन मूल्य व मॉडल मूल्य के अंतर की राशि की गणना के आधार पर भावांतर की राशि किसानों के खाते में दी जाएगी। भावांतर योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए ई-उपार्जन पोर्टल पर किसान को पंजीयन कराना होगा। भावांतर योजना अंतर्गत सोयाबीन फसल की

तिथि 17 आज तक पंजीयन की अंतिम अक्टूबर निर्धारित है। जिले में 2290 किसानों ने 2543.07 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया है। पंजीकृत किसानों को कृषि उपज मंडी में सोयाबीन उपज विक्रय करना होगी। सोयाबीन उपज का विक्रय 24 अक्टूबर से 15 जनवरी तक करना होगा। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 5328 रुपए प्रति क्विंटल हैं।

कपास पर गुलाबी इल्ली का प्रकोप बढ़ा, खराब हो रही फसल

किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि कपास की फसल पक जाने के बाद क्षेत्र में बारिश हो गई। जिसके कारण किसानों की कपास की फसल खराब हो गई है। वर्तमान में कपास पर गुलाबी इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है। जिसके कारण कपास के पौधे पर मात्र घेटे ही दिखाई दे रहे हैं। जिससे मात्र एक बार का ही कपास निकल सकेगा। जिससे कपास की क्वालिटी खराब होने से किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाएंगे।

मक्का को समर्थन मूल्य में किया जाए शामिल, नहीं मिल रहे उचित दाम

उन्होंने बताया जिले में मक्का का रकबा अधिक है। ऐसे में मक्का को समर्थन मूल्य में शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए कम से कम 2500 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया वर्तमान में जिले में 1500 से 1600 रुपए प्रति क्विंटल मक्का को भाव मिल रहा है। जो बहुत ही कम है। किसानों को राहत देने के लिए मक्का को समर्थन मूल्य में शामिल किया जाना चाहिए।


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