STAY UPDATED WITH COTTON UPDATES ON WHATSAPP AT AS LOW AS 6/- PER DAY

Start Your 7 Days Free Trial Today

News Details

मध्य प्रदेश: MSP विरोध में किसानों ने कपास खेतों में छोड़े मवेशी

2025-11-27 11:23:56
First slide


मध्य प्रदेश : किसानों ने कपास की फसल में मवेशी छोड़ा, MSP के लिए खंडवा जाने से किया इनकार.

बुरहानपुर: लोनी गांव के किसान सुनील महाजन ने अपने खेत में लगी कपास की फसल में मवेशी घुसा दिए. उन्होंने 2 एकड़ में लगी खड़ी कपास मवेशियों को खिला दी. बुरहानपुर में केला उत्पादक किसानों के बाद अब कपास उत्पादक किसान भी अपनी कपास को बाजार या मंडी में बेचने के बजाए अपनी खड़ी फसलें मवेशियों को खिलाने के लिए मजबूर हो गए हैं.

एमएसपी के लिए खंडवा ले जानी पड़ रही कपास
किसान सुनील महाजन ने 2 एकड़ में कपास की फसल लगाई थी. लेकिन समर्थन मूल्य पर कपास की खरीदी बुरहानपुर में नहीं होकर खंडवा में किए जाने से नाराज किसान ने अपनी कपास की फसल को मवेशियों को खिला कर नष्ट कर दी है. किसान इसे मजबूरी और विरोध दोनों बता रहा है. कपास की फसल को मवेशियों को खिलाने का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.

बुरहानपुर में एमएसपी पर कपास खरीदी की मांग
समर्थन मूल्य पर कपास की खरीदी सीसीआई द्वारा खंडवा में की जा रही है, लेकिन किसान को अपनी फसल बुरहानपुर से खंडवा ले जाना काफी भारी पड़ रहा है. उन पर परिवहन का भार बढ़ गया है. जिसके चलते किसान ने मवेशियों को कपास में छोड़ दिया. अब पीड़ित किसान ने सरकार से यह मांग की है कि कपास की समर्थन मूल्य पर बुरहानपुर में ही खरीदी व्यवस्था की जाए.

8200 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है कपास का एमएसपी
बुरहानपुर में 16 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में कपास लगाई गई है. इस साल सरकार ने कपास का समर्थन मूल्य 8200 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, लेकिन बुरहानपुर के किसानों को समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पा रहा है. समर्थन मूल्य पर कपास बेचने में परिवहन शुल्क देने की शर्त ने किसानों की परेशानियां बढ़ा दी है. बुरहानपुर के किसानों को कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी सीसीआई के खंडवा खरीदी केंद्र तक कपास पहुंचाने के लिए परिवहन शुल्क देना होगा. इससे स्थानीय किसानों ने इनकार कर दिया है.

विरोध स्वरूप मवेशियों को खेत में छोड़ा
किसानों ने सीसीआई की शर्त नहीं मानी और विरोध स्वरूप फसल नष्ट करने के लिए मवेशियों को खेत में चरने के लिए छोड़ दिया है. कपास किसान सुनील महाजन का कहना है कि "सरकार को कपास उत्पादक किसानों की सुध लेनी चाहिए, ताकि किसानों को आर्थिक संकट से जूझना न पड़े. यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाए, तो कपास उत्पादक किसानों को कपास की फसल से मोह भंग हो जाएगा. मजबूरन किसानों को दूसरी खेती की तरफ रुख अपनाना पड़ेगा, इससे कपास उत्पादन में कमी आएगी, भविष्य में कपास से निर्मित वस्तुओं के निर्माण में कठिनाई हो सकती है.


और पढ़ें :- रुपया 07 पैसे बढ़कर 89.20 पर खुला




Regards
Team Sis
Any query plz call 9111677775

https://wa.me/919111677775

Related News

Circular