केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जारी किए 2025–26 के खरीफ फसलों के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान
मुख्य फसलों में रिकॉर्ड वृद्धि; कुल खरीफ खाद्यान्न उत्पादन 173.33 मिलियन टन रहने का अनुमान
कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज वर्ष 2025–26 के खरीफ फसलों के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान जारी किए, जिनमें देशभर में कुल फसल उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है।
अनुमानों के अनुसार, कुल खरीफ खाद्यान्न उत्पादन 3.87 मिलियन टन बढ़कर 173.33 मिलियन टन तक पहुँचने की संभावना है। यह वृद्धि अनुकूल मानसून और बेहतर फसल प्रबंधन के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है।
🔹 कपास उत्पादन — मजबूत प्रदर्शन जारी
वर्ष 2025–26 में कपास उत्पादन 29.22 मिलियन गांठ (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान है, जो क्षेत्रीय मौसमीय विविधताओं के बावजूद स्थिर और सशक्त प्रदर्शन को दर्शाता है। यह निरंतर उत्पादन देश के टेक्सटाइल और निर्यात क्षेत्रों को सशक्त करने में सहायक होगा।
🔹 तेलबीज और सोयाबीन उत्पादन — मजबूत वृद्धि की संभावना
वर्ष 2025–26 के लिए कुल खरीफ तेलबीज उत्पादन 27.56 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो इस क्षेत्र के ठोस प्रदर्शन को दर्शाता है।
मूंगफली (ग्राउंडनट): 11.09 मिलियन टन रहने का अनुमान, जो पिछले वर्ष से 0.68 मिलियन टन अधिक है।
सोयाबीन: 14.27 मिलियन टन रहने का अनुमान, जिससे यह देश की प्रमुख खरीफ तेलबीज फसल के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करता है।
ये अनुमान तेलबीज क्षेत्र में मजबूत सुधार और विस्तार को दर्शाते हैं, जो भारत के खाद्य तेल आत्मनिर्भरता लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करते हैं।
🔹 समग्र फसल प्रदर्शन
श्री चौहान ने कहा कि यद्यपि कुछ क्षेत्रों को अत्यधिक वर्षा से चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अधिकांश इलाकों में संतुलित मानसूनी वितरण से प्रमुख उत्पादक राज्यों में फसल वृद्धि को बल मिला है।
खरीफ धान — 124.50 मिलियन टन रहने का अनुमान, जो पिछले वर्ष से 1.73 मिलियन टन अधिक है।
खरीफ मक्का— 28.30 मिलियन टन रहने का अनुमान, जो पिछले सत्र से 3.50 मिलियन टन अधिक है।
मोटे अनाज — 41.41 मिलियन टन रहने का अनुमान।
दलहन — 7.41 मिलियन टन रहने का अनुमान, जिसमें
तुर (अरहर) — 3.60 मिलियन टन,
उड़द — 1.20 मिलियन टन,
मूंग — 1.72 मिलियन टन शामिल हैं।
ये अनुमान पिछले वर्षों की उत्पादकता प्रवृत्तियों, क्षेत्रीय अवलोकनों, फील्ड रिपोर्टों तथा राज्य सरकारों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित हैं। अंतिम संशोधन फसल कटाई प्रयोग (CCE) के आंकड़े उपलब्ध होने के बाद किए जाएंगे।