हरियाणा : एमएसपी पर नहीं बिक रही कपास किसानों को उठाना पड़ रहा घाटा
फतेहाबाद जिले की मंडियों में इन दिनों कपास की फसल की आवक जोरों पर है। किसान अनाज मंडियों में धान की फसल लेकर पहुंच रहे हैं लेकिन किसानों को उनकी मेहनत का उचित भाव नहीं मिलने से नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार ने कुल 24 फसलों को एमएसपी पर खरीदने का दावा किया है। इसमें कपास की फसल को भी शामिल किया गया है।
कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,710 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, लेकिन मंडियों इसका उचित भाव नहीं मिलने पर किसानों को डेढ़ हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। इसके पीछे कारण ये बताया जा रहा है कि सीसीआई यानि भारतीय कपास निगम खरीद नहीं कर रहा है। जिले की अनाज मंडियों में कपास की सरकारी खरीद शुरू न होने से किसानों को अपनी फसल औने-पौने दाम पर निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है।
निजी व्यापारी किसानों से कपास की फसल 6,000 रुपये से लेकर 7,100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच खरीद रहे हैं, जबकि सरकार ने मध्यम रेशे वाली कपास का एमएसपी 7,710 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। जिले की भट्टू और भूना की अनाज मंडी में कपास की आवक अधिक है। सरकारी खरीद और निजी खरीद के भावअंतर का सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है। किसान को प्रति क्विंटल फसल पर 1700 रुपये तक का नुकसान है।
जिले की भट्टू और भूना का क्षेत्र कपास के उत्पादन में आगे है लेकिन मौसम की मार के बाद अब उचित भाव नहीं मिलने से किसानों कपास की खेती से मुंह मोड़ने लगे है। किसानों ने सरकार से तुरंत प्रभाव से एमएसपी पर कपास की खरीद शुरू करने और निजी व्यापारियों की ओर से की जा रही मनमानी पर रोक लगाने की मांग की है। पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष मंदीप नथवान ने बताया कि एमएसपी पर खरीद नहीं होने से किसानों के साथ सीधी लूट की जा रही है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी किसानों की समस्या का हल नहीं किया। ऐसे में किसान दिन प्रति दिन कमजोर हो रहा है। सभी फसलों की खरीद एमएसपी पर करनी चाहिए ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके।