नये सीजन से पहले महाराष्ट्र में कपास की कीमतें बढ़ जाती हैं।
नए कपास सीजन की शुरुआत से पहले, पिछले 15 दिनों में कपास की कीमतों में लगभग 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्तमान में देश में कपास का उपलब्ध स्टॉक घट गया है, और कपास की खेती में भी लगभग 10 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही, गुजरात और महाराष्ट्र में बारिश से फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिससे बाजार में सुधार देखने को मिल रहा है।
भारत में नया कपास सीज़न अक्टूबर में शुरू होता है, जबकि उत्तरी राज्यों में कपास की आवक सितंबर से ही शुरू हो जाती है, क्योंकि वहां कपास की खेती पहले शुरू हो जाती है। आमतौर पर नए सीजन से पहले, ऑफ-सीज़न के दौरान कपास की कीमतें ऊंची रहती हैं, लेकिन नए माल के बाजार में आने से पहले कीमतें नरम पड़ने लगती हैं, क्योंकि सप्लाई बढ़ जाती है।
इस साल, हालांकि, कई कारणों से ऑफ-सीज़न के दौरान बाजार में गिरावट देखी गई। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमतें पिछले चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं, जिससे घरेलू बाजार में भी दबाव बना। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना में भारत में कपास की कीमतें स्थिर रहीं, जो 6,800 रुपये से 7,300 रुपये के बीच रहीं। इसका मुख्य कारण देश में आपूर्ति का कम होना था, जिससे कीमतों में स्थिरता बनी रही।
पिछले तीन महीनों से कपास बाजार में लगातार दबाव बना हुआ था, जिससे नए सीजन को लेकर चिंता बढ़ गई थी। आमतौर पर, ऑफ-सीजन में कीमतें बढ़ती हैं, लेकिन इस साल कीमतों में गिरावट आई, जिससे बाजार में अनिश्चितता बनी रही। हालांकि, तीन प्रमुख कारणों से पिछले दो हफ्तों में कपास की कीमतों में सुधार हुआ है, जिससे सीजन की शुरुआत सकारात्मक रही।
कपास का स्टॉक कम होना
देश में फिलहाल कपास का स्टॉक कम है। पिछले सीजन में उत्पादन कम हुआ, जबकि घरेलू उद्योगों की खपत बढ़ी और निर्यात भी लगभग 28 लाख गांठ होने का अनुमान है। अनुमान है कि इस साल नए सीजन में केवल 20 लाख गांठ कपास ही बचेगी। यदि बारिश के कारण नई कपास की आवक में देरी हुई, तो कपास की कमी और बढ़ सकती है।
खेती में कमी
पिछले साल की तुलना में कपास की खेती लगभग 10 प्रतिशत कम हुई है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे उत्तरी राज्यों में खेती में काफी कमी आई है। इसके अलावा, गुजरात और महाराष्ट्र में भी कपास का रकबा घटा है। पिछले सीजन में देश में 122 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई थी, जो इस साल घटकर 111 लाख हेक्टेयर रह गई है। खेती में गिरावट से उत्पादन कम होगा, जिससे कीमतों को समर्थन मिला है।
झमाझम बारिश
हाल के दिनों में गुजरात और महाराष्ट्र के कई महत्वपूर्ण कपास उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश हुई है, जिससे फसल को नुकसान पहुंचा है। मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी यही स्थिति है। कम बुआई और फसल के नुकसान के कारण बाजार पहले से ही प्रभावित हुआ है। इसके अलावा, सितंबर में भी अच्छी बारिश का अनुमान है, जिससे कपास की फसल पर असर पड़ सकता है। इन सभी कारणों से बाजार में कीमतों में सुधार देखा जा रहा है।
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