1. SHRI ATUL GANATRA JI , PRESIDENT CAI
2. GOPAL JI AGRAWAL
3. MR. DAVE CCI
4. BHUPENDRA RAJPAL JI PRESIDENT, MH COTTON GINNERS ASSOCIATION
SHRI ATUL GANATRA JI , PRESIDENT CAI
1. रूई उत्पादन / खपत और उपलब्धता के आकड़े सही निकालने चाहिए ।
2. इसके लिये कभी संघठनों / एसोशियेशन और सरकारी एजेन्सीयों को साथ मिलकर काम करना चाहिये।
3. वर्तमान में सम्पूर्ण कपड़ा उद्योग और इससे सम्बंधित ईकाईयाँ जैसे जिनर्स, किसान, व्यापारी, निर्यातक और आयतक आदि, सभी संकट में है।
4. उपरोक्त कारण से कोई भी उद्योग 100 प्रतिशत उत्पादन नही कर पा रहा है।
5. रूई बीज तकनीकि में बदलाव अत्यन्त आवश्यक और प्राथमिकता के साथ लाना चाहिये।
6. वर्तमान में लगभग 15 लाख किसान सोशल मीडिया से जुड़े है। जिसके कारण कपास का बाज़ार भी प्रभावित होता है। फलस्वरूप ICE फ्यूचर से भारतीय बाजार 2 सेन्ट तक ऊँचा रहता है। रु० 51000/- की तुलना मे
रू० 60000/- तक भाव देखा गया है।
7. देश में रूई का आयात 40 /50 लाख गठान तक होना चाहिये तथा सरकार को 11% ड्यूटी हटाना चाहिए। वर्तमान में लगभग 10 लाख गठान का आयात हुआ है।
8. देश में स्पिंडल्स की संख्या लगातार बढ़ रही हैं , लेकिन रुई उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। जिससे मिल्स आंशिक रुप से चल रही हैं ।
9. रूई का क्लोजिंग स्टॉक काफी चिन्ता जनक है।
10 डिमान्ड होने से ही रूई का भाव बढ़ता है?
11. यह चुनाव वर्ष होने से MSP के राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा बदलाव लाया जा सकता है।
12. भारतीय कपास का उत्पादन व इसकी गुणवत्ता कम होती जा रही है। दक्षिण राज्यों में अब उतारा 33% से कम हो गया है।
13. सम्भावनायें हो सकती है कि चालू कपास सीजन में सी.सी.आय. MSP पर दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात आदि राज्यों में खरीदी करे।
14. जब किसान खुश होगा तभी टैक्सटाईल सेक्टर में खुशहाली आयेगी। जब कपास का भाव रू० 7000 प्रति क्विंटल से रू० 14,000/- तक हुआ तब सभी जिनर्स ,मिलर्स और व्यापारियो ने धन कमाया ।
15. अगली मीटिंग 25/10/2023 को होगी जिसमे सीजन 2022/2023 एवं 2023/24 के रुई आकड़ो की समीक्षा की जाएगी ।
GOPAL JI AGRAWAL
1. भारत देश में "सफेद सोना" के नाम से जाने वाला "रूई" का आर्थिक महत्व बहुत ज्यादा है।
2. भारत में कपास क्षेत्रवार के हिसाब से विश्व में सर्वोच्च पायदान पर है। पर उपज की दष्टी से बहुत पीछे है। हमारे यहाँ पौधे में 32% फूल खिलते है, जबकि अन्य देशों में 90%-95% तक पाये जाते है।
3. भारत में कपास का व्यापार सेंटिमेंट पर आधारित है।
4. कपास के भाव में भारी उतार चढ़ाव देखा जाता है इसलिये कपास बिमा के साथ कैपिटल का भी इन्स्योरेन्स होना चाहिए।
5 जिनर्स को MNC से घबराना नहीं चाहिये तथा हेजिंग के लिए MCX प्लेटफॉर्म का उपयोग करना चाहिये।
MR. DAVE CCI
MR. DAVE के अनुसार देश में इस वर्ष 128 लाख हेक्टेर्स जमीन पर कपास बोनी हुई है।
M.S.P. खरीदी नहीं होने पर भी , सी. सी.आई अपने Permanent & Promment Buyers के लिए 10/15 lakhs bales खरीदने को कटिबद्ध है।
यदि M.S. P. पर खरीदी होती हे तो विभाग की तैयारियां पूर्ण है। जिनिंग प्रेसिंग के अनुबंध संपन्न हो गये है।
BHUPENDRA RAJPAL JI
PRESIDENT, MH COTTON GINNERS ASSOCIATION
1.सभी जिनर्स को एक स्टैण्डर्ड बिक्री पत्र के तहत अपनी रूई विक्रय करनी
चाहिये। ! एक देश एक अनुबन्ध !
2. इस अनुबन्ध में क्रेता और विक्रेता दोनों के हितों का समावेश है।
3. क्रेता विक्रेता के बीच आने वाले विवादों को हल करने के लिये एक पाँच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है।
4. जिनर्स को रूई की गुणवत्ता ( नमी/ट्रैश) पर विशेष ध्यान रखते हुए अपने स्टेशन की शान बनाये रखना चाहिये अन्यथा बदनामी से स्टेशन का नाम व्यापार से लुप्त हो जाता है।
5. जिनर्स का आपस में समन्वय व एकता होनी चाहिये।
6. उत्पादन व खपत के सही ऑकड़े मासिक रूप पर उपलब्ध होने चाहिए।
7. बी० टी० सीड को लाने की प्रक्रिया में तेजी आने से 25/% तक उत्पादन बढ़ सकता है।
8. वस्त्र मंत्रालय ने ब्रांडेड कॉटन (कस्तूरी कॉटन) के लिये 40/50 करोड़ का बजट पास किया है।
9. सी.सी.आय ने रूई गुणवत्ता के स्टैण्डर्ड मानक स्थापित किये है। रूई की प्रत्येक गाठ की टेस्टिंग होनी चाहिए।
10. सरकार ने 80/90 % नई टेस्टिंग लेब की अनुमति प्रदान की है।
11. बी. आई. एस जिनर्स के हित में है जिनर्स को अपनी रूई पैरामीटर को घोषित करना चाहिए।
12. लेकिन इससे अपराधिक धारा हटानी चाहिए।
Regards
Team Sis
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