महाराष्ट्र राज्य कपास उत्पादन में देश में अग्रणी राज्य है।उद्योग का महत्व यह है कि राज्य में बड़ी और छोटी कपड़ा मिलें हैं। वैश्विक कताई एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है।
2,500 से 3,000 करोड़ प्रतिवर्ष, दोनों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से, राज्य की कपास मिलों के मध्य के माध्यम से आय प्राप्त होता है ।कपास किसानों द्वारा उत्पादित कपास किसानों द्वारा नहीं बेची जाती है।
प्रदेश के विकास में देश की कताई का बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन मौजूदा स्थिति में कताई गैर-निर्यात स्थिति के कारण बाजार में घरेलू आपूर्ति में भारी गिरावट आई है।30 से 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नुकसान हो रहा है। इसलिए मिल को चालू रखना मुश्किल हो रहा है और सभी आत्मविश्वास बनाए रखना बहुत मुश्किल हो रहा है तथा मदद की आवश्कयता है ,अन्यथा संपूर्ण कपड़ा उद्योग प्रभावित होगा।पतन संभव है
एक महत्वपूर्ण बाबत ये भी है की सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद सहकारी सुतगिरानी और निजी सुतगिरानी को मदद में अंतर है.और सहकारी सुतगिरनि और निजी सुतगिरानी को एक ही बाजार में बेचना पड़ता है जिसका बड़ा नुकसान निजी सुतगिरनि को भुगतना पड़ता है नए वस्त्रउद्योगनिति अनुसार सहकारी सुतगिरनि को बिजली छूट 2 रुपये प्रति यूनिट है जबकि निजी सुतगिरानी को 3 रुपये प्रति यूनिट है.
इस तरह सहकारी सुतगिरनि को 3000 रुपये प्रति स्पिण्डल के बराबर ब्याज सरकार मदद करेगी ये फैसला किया गया है निजी सुतगिरनी को भी इसकी आवश्यकता है ऐसे सहकारी व् निजी सुतगिरानी दोनों को इसकी आवश्यकता आहे.
आर्थिक स्थिति और मंदी को देखते हुए सरकार ने सहकारी और निजी सुतगिरानी को अंतर न करते हुए मदद करनी चाहिए। नहीं तो निजी सूतगीरनी को चलना मुश्किल हो जायेगा।
इस परिस्थिति को देखते हुए और हानि को रोकते हुए निजी सुतगिरानी आगे चलना कठिन दिखाई दे रहा है इसलिए निजी सूतगीरनी बंध करने का विचार हो रहा है.
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