भारत सरकार द्वारा कपास गांठें बनाने, प्रसंस्करण और व्यापार करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणिक करवाने का कानून बनाने के खिलाफ हरियाणा, पंजाब और राजस्थान कीकॉटन जिनिंग एसोसिएशन विरोध में उतर आये हैं। हिसार में आज तीनों राज्यों के 100 से अधिक जिनर्स एकत्रित हुए और सरकार के इस कानून के खिलाफ अपनी आवाज उठायी। जिनर्स की बैठक में सर्वसम्मत्ति से फैसला लिया गया कि सरकार के इस काले कानून को किसी भी सूरत में लागू नहीं होने दिया जायेगा। सरकार यदि इस कानून को लागू करने से पीछे नहीं हटी तो सभी जिनर्स अपनी फैक्ट्रियां बंद कर देंगे और किसानों से कपास भी नहीं खरीदेंगे।
बैठक का आयोजन हरियाणा कॉटन जिनिंग एसोसिएशन की तरफ से किया गया था।
एक निजी रेस्टोरेंट में आयोजित बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए हरियाणा कॉटन जिनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील मित्तल ने कहा कि सरकार न जाने क्यों किसान, व्यापारी व उद्योगपतियों के खिलाफ काम कर रही है। भारतीय मानक ब्यूरो का नियम कॉटन प्रोसेसिंग व गांठें बनाने पर लागू करने का कोई औचित्य नहीं बनता है।
बीआईएस के नियम फैक्ट्री में निर्मित उत्पादों पर लागू होते हैं। कपास तो एक कृषि उत्पादन है और ये रॉ मैटीरियल है। कॉटन जिनर्स अपनी फैक्ट्री में सिर्फ कपास की प्रोसेसिंग करके आगे कपास को बेचते हैं, इसलिए इस पूरी प्रक्रिया में बीआईएस नियम लागू नहीं होने चाहिए। सरकार इसे पहले 27 अगस्त से ही लागू करना चाहती थी लेकिन अब सरकार इस कानून को 27 नवम्बर से लागू करने की बात कर रही है। जिनर्स के विरोध के चलते ही इस कानून को लागू करने का फैसला तीन महीने के लिए लंबित कर दिया गया है। मगर, पूरे देश के जिनर्स इस कानून को रद्द करवाना चाहते हैं और सरकार ने ये कानून रद्द नहीं किया तो जिनर्स अपनी फैक्ट्री बंद कर देंगे।
अपर राजस्थान कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष अदित्य चितांगलिया ने इस मौके पर कहा कि बिजनेस टू बिजनेस मॉडल में कहीं भी बीआईएस का नियम लागू नहीं होती है। ऐसे में केन्द्र सरकार ये कानून लागू करके गलत कर रही है। इस वक्त हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में कॉटन जिनिंग की 500 इकाइयां हैं और ये सभी सालभर में 60 लाख गांठों या यूं कहें कि 3 करोड़ क्विंटल कपास की प्रोसेसिंग करती हैं। सरकार अपने फैसले को वापिस नहीं लेती है तो इन सभी फैक्ट्रियों से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जायेंगे और देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। किसान, मजदूर, व्यापारी सब इस फैसले से प्रभावित होंगे।
लोअर राजस्थान कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप गुप्ता ने कहा कि पूरी दुनिया में कहीं भी कॉटन प्रोसेसिंग या अन्य कृषि उत्पादन पर मानक ब्यूरो के नियम लागू नहीं हैं। ऐसे में देश को आगे बढ़ाने के बजाये सरकार पीछे धकेलने वाला काम क्यों कर रही है। सरकार यदि नियम लागू करना भी चाहती है तो इसे अनिवार्य करने के बजाये वैकल्पिक कर सकती है। मगर बीआईएस मानक पूरे नहीं करने पर भारी जुर्माना और जेल की सजा रखकर सरकार जिनर्स को क्या अपराधी घोषित करना चाहती है।
पंजाब कॉटन फैक्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश बंसल ने कहा कि सरकार कॉरपोरेट सेक्टर्स के हाथों की कठपुतली की तरह काम कर रही है। कॉटन उद्योगपति कॉटन प्रोसेसिंग का काम कर रहे हैं और जुर्म नहीं कर रहे। सरकार के इस गलत फैसले को एसोसिएशन किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दे सकती है क्योंकि सरकार जो चाहती है वो संभव ही नहीं है। सरकार नहीं मानी तो फैक्ट्रियां बंद करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचेगा।
इस मीटिंग में हरियाणा कॉटन जिनर्स एसोसिएशन के संरक्षक सुमेर चंद, कैशियर, श्यामसुंदर बधेरिया भूना, पंजाब से भगवान बंसल, अलवर से कुलदीप, हनुमानगढ़ से रविन्द्र, बलवंत खैरतल राजस्थान, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
नार्थ कॉटन जिनिंग एसोसिएशन में लिया गया निर्णय, जैसा की श्री सुशिल मित्तल जी नव निर्वाचित अध्यक्ष जी ने बताया।
1. कोई भी जिनर सीसीआई टेंडर नहीं भरेगा।
2. सभी भारतीय जिनर्स 1 नवंबर 2023 से हड़ताल पर जाएंगे। कोई खरीद नहीं, कोई प्रसंस्करण नहीं और कोई बिक्री नहीं.
Regards
Team Sis
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